सेवा धर्म: परम गहनो योगिनामप्यगम्य:
(सेवा का कर्तव्य बहुत कठिन होता है जो योगियों के लिए भी दुष्कर है)
सेवा को अपना लक्ष्य बनाने वाली एन.एस.एस. (राष्ट्रीय सेवा योजना) की दो इकाइयाँ बी०ए०, बी०एससी० बी०कॉम० प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए संचालित है। इनमें प्रवेश हेतु सत्र प्रारम्भ होने के 45 दिन के भीतर सम्बन्धित इंचार्ज प्रोफेसर (कार्यक्रम अधिकारी) को प्रार्थना-पत्र देना आवश्यक है।
अल्पानामपि वस्तूनां संहति: कार्यसाधिका।
(छोटी-छोटी वस्तुओं का संगठित स्वरूप बड़े-बड़े कार्य कर सकता है)
एकता और अनुशासन का आदर्श लेकर स्वयं और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए कल्पित राष्ट्रीय कैडेट कोर की 71 UP BN NCC MEERUT की एक इकाई की मान्यता महाविद्यालय को प्राप्त है। इसमें प्रवेश हेतु महाविद्यालय के एन.सी.सी. कार्यालय में सम्पर्क करें।
वृत्तं यत्नेन संरक्षेत
(चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए)
उत्तम राष्ट्र के निर्माण हेतु उत्तम चरित्र वाले युवक-युवतियों की बहुत महत्ता है। इसी हेतु स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिये महाविद्यालय में रोवर्स/ रेंजर्स की मान्यता प्राप्त इकाइयाँ हैं। इनकी सदस्यता हेतु सत्र प्रारम्भ होने के 15 दिनों के अन्दर पंजीकरण कराना आवश्यक है।
क्षणश : कणशश्चैव विद्यामर्थड्च साधयेत
(क्षण-क्षण का उपयोग करके विद्या और कण-कण एकत्र करके धन का संग्रह करना चाहिए।)
जरूरतमंद विद्यार्थियों के निर्बाध अध्ययन में सहायता हेतु यह परिषद् छात्रों के लिए कल्याण तथा निर्देशन सेवाओं का संचालन करती है। इसके अतिरिक्त छात्रों के लिए निम्नलिखित सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है :-
(1) शुल्क मुक्ति : इसका आधार शैक्षिक योग्यता एवं संरक्षक की आय है। शुल्क मुक्ति आवेदन पत्र कॉलेज कार्यालय से प्राप्त किये जा सकते हैं। इन आवेदन-पत्रों को निर्धारित तिथि तक छात्र कल्याण परिषद् कार्यालय में जमा करना होता है।
(2) अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग / विकलांग छात्रों को कॉलेज में प्रवेश लेने के साथ ही छात्रवृत्ति का आवेदन पत्र भरना होगा। इसके साथ ही उन्हें छात्र कल्याण परिषद् के अधिकारी से अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराकर बैंक में अपना खाता खोलना होता है।
(3) अनुसूचित जाति/जनजाति/पिछड़ी जाति के सभी छात्र/छात्राओं को अपना मूल जाति प्रमाण-पत्र दिखाकर छात्र कल्याण परिषद् कार्यालय से अपने प्रवेश फार्म को अग्रसारित कराना अनिवार्य है।
साहित्यसंगीतकलाविहीन: साक्षात् पशु: पुच्छविषाणहीनः
(साहित्य संगीत और कलाओं से रहित मनुष्य बिना पूंछ और सींग का साक्षात् पशु ही है|)
इस परिषद् का गठन विद्यार्थियों में मुदुल भाव, सांस्कृतिक चेतना जगाने एवं उनको इन क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। प्रतिवर्ष महाविद्यालय में अनेक प्रतियोगितायें जैसे- वाद-विवाद, निबन्ध लेखन, क़्विज, कला प्रदर्शनी तथा संगीत एवं नाट्य से सम्बन्धित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रतिभागियों को पुरस्कार व प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया जाता है। उत्कृष्ट एवं सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र/छात्राओं को विश्वविद्यालय, अन्तरविश्वविद्यालय, प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
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प्रलकीर्तिमपावृणु
(पूर्वजों की कीर्ति को अगली पीढ़ी तक पहुँचायें।)
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार की दृष्टि से संग्रहालय के महत्त्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। महाविद्यालय के पुस्तकालय में, महाविद्यालय के शिक्षकों द्वारा संग्रहीत सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक महत्त्व की 'कलाकृतियों को स्थापित किया गया है। जिसका रख-रखाव महाविद्यालय की संग्रहालय समिति करती है। यह अनूठा संग्रहालय एन.ए.एस. कॉलेज को अन्य महाविद्यालयों से विशिष्ट बनाता है।